आज का गीता जीवन पथ
दश
म अध्याय
जय श्री कृष्णा.
जय श्री कृष्णा.
सबका
भला
हो
!
(समर्पित है देश के सब
खिलाड़ियों के नाम ;गर्मी, सर्दी
या बरसात ;उनकी महनत
व परिश्रम के प्रतिफल हमें
सम्मान मिलता है
हम,जिनकी सेवाओ से
प्रेरित व गौरवान्वित होते हैं)
वचन मेरा है रहस्य भरा ,
प्रभाव युक्त ये रहता है ,
दिल की इच्छा से कहना
हित का चिन्तन करता है
10/01
लीला मेरी समझ से बाहर
अपरम्पार ! सभी मानते हैं
भ्रमित जहां भी होता है
हैरान ! रिषी भी होते हैं
10/02
अर्जुन ! जितनी चाबी(तुझमें) भरी
है
उतना ही तू कर पाता है
वश में तेरे तेरा शरीर!
नहीं पूर्ण नियंत्रण पाता है
10/03
समझो खोल के दिल को तु म
लाख नाडियां दिल भी धड़के
स्वतःक्रिया भी होती है
बार-2 देखा हट के
10/04
आदि कारण में जगत का हूं
रहस्य भरा है जीवन मेरा
अजन्मा! अनादि !लोंकों में
यही सत्य रूप है मेरा
10/05
रहस्य को समझें जो कोई ,
ज्ञान पिपाशा उसकी बढ़ती
परम तत्व को जानें, समझें
यही लालसा दिल में होती
10/06
पापों से मुक्ति पाना
हर पल लीन वो रहता है
क्षणभंगुर जीवन का मर्म !
रहस्य जानता ,वही समझता है
10/07
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
No comments:
Post a Comment