आज का गीता जीवन पथ
अष्ठम अध्याय
जय श्री कृष्णा.
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो
!
(समर्पित है देश के किसानों के नाम ;गर्मी, सर्दी या बरसात ;उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल जीवन चलता है हम,जिनकी सेवाओ से
प्रेरित व सुरक्षित हैं)
कुछ अज्ञानी भी हैं,
न समझें कहते, उसको,जानते
उधार का ज्ञान जेब में रखते ,
मूर्ख बनाते बांटते जाते
8/31
झूठ का सहारा वो लेते ,
लोगो को मूर्ख बनाते ,
राजनीति की रोटी सेकें,
नाम बांटते उसका फिरते,
8/32
वेदों के विद्वत जन,
रहस्य से पर्दा उठाते ,
अविनाशी के रूप !
बताते, घूमते फिरते
8/33
सच्चिदानन्द स्वरूप परमपिता
,
परमपद केवल उसका
आसाक्ति रहित यत्न शील सन्यासी
मार्ग तलाशे उसका
8/34
बृहमचारी का व्रत बृहमचर्य
आचरण भी उसका वैसा
चाहत मन में तिष्ठित
( करते) सोच रूप भी वैसा
8/35
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
No comments:
Post a Comment