आज का गीता जीवन पथ
नवम अध्याय
जय श्री कृष्णा.
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो
!
(समर्पित है देश के मजदूर के नाम ;गर्मी, सर्दी या बरसात ;उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल जीवन चलता है हम,जिनकी सेवाओ से
प्रेरित व सुरक्षित हैं, हर काम समय पर
होता हैं)
सुगम बनाता जीवन
अपना
उत्तम सर्वोत्तम
मेरा साधन!
धर्मयुक्त साधन
अपनाना
;
परम तत्व से
होता मिलन
9/6
जमता जल है ,अर्जुन
यह बर्फ समान
है सदृश
मुझे ढूंढ़ता
जग सारा ?
सदा मैं रहता
अदृश
9/7
भूतकाल में जो
भी स्थित
संकल्प मेरा है ,अर्जुन
मुंझे ढूढ़ना सबकी कोशिश
अस्त व्यस्त
सब करते जीवन
9/8
ताज्जुव होता
है ,पार्थ !,
भूत का पोषण,भूत
का धारण ,
नहीं आत्मा मेरी
स्थित, (भ्रमित सभी)
जान सके ना इसका
कारण ?
9/9
ब्यार चले अाकाश
में,
रहती व्याप्त सारे जहां,
वही हाल मेरा है ! पार्थ !,
भूत व्याप्त
हैं सारे जहां
9/10
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
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