Thursday 9 February 2017

472----आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
अष्ठम अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !

(समर्पित है देश  के किसानों के नाम ;गर्मी, सर्दी या बरसात ;उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल जीवन चलता है हम,जिनकी सेवाओ से  प्रेरित व सुरक्षित हैं)
परमपिता परमेश्वर ,
परम बृहम वही है एक,
 ईशा क्या समझेगा ?,
अनेकों में वही है एक
8/11
अन्तिम क्षण जब आता है,
 जीव भजे उसका नाम ,
शरीर को त्यागते जब हम
दर्शन अपना देते हैं घनश्याम
8/12
संशय की गुंजाईश ना,
समझ बोध में दूरी !,
 मन में भाव हैं जिसके जैसे ,
इच्छा अपनी करता पूरी,
8/13
भक्तिभाव से भरा हुआ,
 मन से करे विचार,
 पूर्ण होती हैं मन की चाहत ,
जन्म मिले इच्छानुसार,
8/14
जीवात्मा जो चाहे,
 अक्सर मिलता है अर्जुन,
भक्तिभाव में लीन जो रहता,
इच्छा पूरी होती अर्जुन
(Note---It is said, even after the theory of Karma on the Earth, at the time of leaving the world, whatever image ,the dying man sees, normally he gets the birth: We proved the rebirth theory and luckily modern world confirms time and again)
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I

कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा जायेगा

No comments:

Post a Comment