Sunday, 26 February 2017

498----आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
नवम अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश  के मजदूर के नाम ;गर्मी, सर्दी या बरसात ;उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल जीवन चलता है हम,जिनकी सेवाओ से  प्रेरित व सुरक्षित हैं, हर काम समय पर होता हैं)
सारे जीव जन्तु जगत में
प्राप्त अन्त में मुझको होते
सदगति /दुगर्ति यहीं लिखी है
भूल समझने में हम करते
9/41
छोड़ सभी दुखों के लाले ,
राजा हो या रंक यहां
सुख दुख के सभी झमेले !
भटक रहे हैं सारे जहां
9/42
 क्षणभंगुर जीवन है ,पार्थ
पल मे “है ” बदलता
 वो भी शख्स जगत मे था !
 यादों में ये जीवन रहता
9/43
सुनो, पार्थ ! मोह को त्यागो
सब कुछ अर्पति मुझ में कर
अन्त भला तो सब भला !
तैयार रहो तुम ,युद्ध कर !
9/44
पूजन चिन्तन मुझमें निहित
अन्त में मुझको प्राप्त कर
मायामोह की दुनिया है
समझो इसको युद्ध कर !
9/45
मानवता रहे सलामत
लाखों वर्षों  दुनिया चलती
 जरा सी चूक ,पार्थ
नुकसान बड़ा भारी करती
9/46
अध्याय समाप्त


मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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