Tuesday, 21 February 2017

491----आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
नवम अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश  के मजदूर के नाम ;गर्मी, सर्दी या बरसात ;उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल जीवन चलता है हम,जिनकी सेवाओ से  प्रेरित व सुरक्षित हैं, हर काम समय पर होता हैं)


मूर्ख सदा बनते है, मानव
 सदा सत्य से दूर वे रहते
अपनी बात सिर माथे ,
लाख उदाहरण वे देते
9/16
आलस उन पर हावी होता
समझें न वे योग -माया
रहस्य भरा ये जीवन है,
कहीं घूप ,कहीं छाया
9/17
उद्धार जगत का करने को
“मानव ”मात्र समझते जन
उस गहराई तक कभी न पहुंचे
खोये रहते अपने तन मन,
9/18
आशा व्यर्थ ,निराशा व्यर्थ ,
व्यर्थ जीवन का है निचोड़ ,
विक्षिप्त-चित्त ,अज्ञानी मन ,
नहीं समझते इसका तोड़
9/19
खोये इनमें रहते है, अर्जुन
यही विड़म्वना है भारी
 नहीं समझते असली मकसद
नहीं पता ! ये क्या लाचारी ?
9/20
शेष कल

मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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