Sunday, 5 February 2017

465-----आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ

सप्तम अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश के सभी प्रशासनिक अधिकारिओं के नाम; सरहद परसेना ,घर में इनका कार्य व्यवहार
,जिनकी सेवाओ से हम प्रेरित सुरक्षित हैं)

 साथ में रहती योग -माया
प्रत्यक्ष दर्शन हैं मुशिकल
पना जैसा समझें जन
रहस्य समझना है मुशिकल
7/46
 हे !पार्थ !क्या हुआ, क्या होगा ?
क्या होने वाला है?
सबकुछ मैं जानू
 कौन किसका रखवाला है ?
7/47
 तरस आता  हैं मुझको ,
कुछ भक्त मेरे अज्ञानी
लीन भी मुझ में रहते हैं ,
भक्ति भी मन में ठानी?
7/48
श्रद्धा नहीं है मन में
पाखण्ड से ना काम बने
 दिन भर पूजा में व्यस्त
 इससे क्या काम बने ?
7/49
 संसार की माया में मोहित
सुख दुःख में उलक्ष गये
ईर्ष्या ,द्वेष ,लालच
 मिल के इनमें खो गये

7/50

शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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