Friday 30 November 2018

Srajan (E-Magazine): 794--देश समाज की बात--

Srajan (E-Magazine): 794--देश समाज की बात--: देश समाज की बात ------------------------------------- माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने कहा कि हनुमानजी वनवासी एवं कमजोर समुदाय ...

794--देश समाज की बात--

देश समाज की बात-------------------------------------माननीय मुख्यमंत्री महोदय ने कहा कि हनुमानजी वनवासी एवं कमजोर समुदाय के हैं ,बिल्कुल सत्य है, क्योंकि हम जानते हैं ,स्वयं हमारे देवों के देव महादेव किरीट समुदाय के थे, और हमारे देश में मातृ पूजा भी बनवासी या जनजाति लोगों के मध्य से ही प्रचलित हुई .हमारे समाज में इतनी उदारता है कि हमने सभी को सम्मान दिया, कुछ लोग यह विश्वास नहीं करते कि हमारे साथ दो तरह से आक्रमण किए गए ,एक तरफ तो हमारी सारी संस्कृति और सभ्यता को विनाश करने का प्रयास किया गया ,हमारे शास्त्रों को जला दिया गया ,नालंदा ,तक्षशिला इसके उदाहरण हैं ,दूसरी तरफ हम देखते हैं कि मैकाले से लेकर बिलड्यूरैथ, हंटर आदि लोगों ने हमारे शास्त्रों में तब्दीलिया कर दी, और हमने उनके द्वारा पोषित उस वर्ग के इतिहासकारों का समर्थन किया ,जिन्होंने उनकी बात को ही आगे बढ़ाया .यह सही है या जो दोषी हैं हम उन्हें आरोपित या दोषी नहीं मानते ,बल्कि आपस में ही जो वैमनस्यता के बीज बोए गए, उन पर हम आगे बढ़ रहे हैं ,हमारे समाज में शायद ही कोई ऐसा वर्ग है जिसने देश को आजाद कराने में अपना योगदान दिया हो ,अक्सर मैं देखता हूं कि लोगों की एक लाख सर काट कर उनका हिल टॉप बनाया गया .हम सभी लोग अंग्रेजों और विदेशी आक्रांताओं के शिकार हुए हैं 60000 सारस्वत ब्राह्मणों के और 1 लाख राजपूत काटे गए और इसमें जनसामान्य भी अछूता नहीं रहा. 41 तरीके से हमें दंडित किया गया मारा गया काटा गया, इतिहास हमारा लहूलुहान है
यह व्यवस्था निश्चित रूप से हमें दूर करने के लिए सबसे पहले इतिहास में जो छेड़छाड़ की गई है उसे दुरुस्त करना होगा , हम सभी लोग एक है और स्वयं हमारी पुरानी परंपरा के अनुसार Yask मुनि ने तो कहा भी है कि सबजन्मना जायते शुद्र:” शुद्र:” शब्द सबके लिए इस्तेमाल किया गया. 1921 में दलित शब्द का इस्तेमाल भी अंग्रेजों ने ही हमें आपस में बांटने के लिए किया था और आज उसी परंपरा को लोग बढ़ा रहे हैं जो समानता की बात करते हैं ,वे खुद 141 फिरकों में बटें हुए हैं और उनके यहां आज भी दलित या कमजोर जैसे शब्द या जातियां हैं, जबकि हमारे बौद्ध धर्म ,जैन धर्म ऐसे धर्म है जहां जाति व्यवस्था नहीं है और हिंदू धर्म भी प्रयास कर रहा है कि वह अपने मूल रूप Sanatan को प्राप्त करें, इसके लिए हम सबको आगे बढ़कर योगदान देना होगा ,बजाए एक दूसरे पर आरोप करने के एक दूसरे का सहयोग करने पर और जो इतिहास में गलतियां हुई है उसे सीख लेकर ही हम अपने समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर कर सकते हैं और भारतीय संविधान के निर्माता बाबा साहब ने जो समानता स्वतंत्रता और समतामूलक समाज की व्यवस्था संविधान में की है निश्चित रूप से हमारा प्रयास उस तरफ ही बढ़ता हुआ नजर रहा है इसके लिए हम सबको आभार व्यक्त करने की आवश्यकता है
आज माननीय योगी जी ने जो नई मुहिम छेड़ी है निश्चित रूप से हमें अपने बीच में व्याप्त वादों को मिटाने के लिए उनके द्वारा दिया गया संदेश है जो आज समाज में अति आवश्यक हैRaj