Saturday 31 October 2015

Srajan (E-Magazine): 0000-273-आज का गीता पाठ

Srajan (E-Magazine): 0000-273-आज का गीता पाठ: अर्जुन, क्षत्रिय हो तुम!, भाग युद्ध से न जाओ', धिक्कारेगी दुनिया सारी , माँ का दूध नहीं लजाओं.I117I धर्मयुद्ध छिड़ा ...

0000-273-आज का गीता पाठ

अर्जुन, क्षत्रिय हो तुम!,
भाग युद्ध से न जाओ',
धिक्कारेगी दुनिया सारी ,
माँ का दूध नहीं लजाओं.I117I

धर्मयुद्ध छिड़ा है अब,
भाग्यवान बने हो तु म,
सौभाग्य मिला है तुमको ,
भय से कहाँ जाते हो तु मI118I

धर्मयुद्ध से मुँह मोड़ना ,
कीर्ति साथ नहीं देगी ,
स्वर्ग का द्वार दूर रहेगा ,
अपकीर्ति सदा तुम्हें मिलेगी I119I

सदियों तक अपकीर्ति का भागी,
शर्मनाक है बात यहाँ ,
इससे बेहतर मर जाना,
अप कथन कहेगा सारा जहाँ I1120I

सम्मान मिला लोगों से ,
लघुता तेरा हरण करेगी ,
भय के कारन अर्जुन !,
अपकीर्ति तेरा वरण करेगी I121I

क्षमता हीन, डरपोक,बुरा ,
अपयश शब्द नहीं रूकेगें ,
इससे बड़ा दुःख क्या ?,
लोगों की नजर में हम गिरेगें I122I

मृत्यु वरण कर लेगी,
स्वर्ग में तेरा स्वागत है ,
जीत मिली संग्राम में ,
धरा पे लेा तेरा स्वागत है I123I

लाभ ,हानि ,जीवन ,मरण ,
यश, अपयश समान समझ ,
सुख- दुख ,जय -पराजय ,
असमान नहीं इन्हें समझI124I

कृष्ण ने कहा अर्जुन से !,
त्यागो भय ,देर ना कर,
महान योद्धा इस धरा का तू ,
तैयार रहो युद्ध करI125I

 “आज का कर्म भाग्य है कल “

ज्ञान मिला है तुमको ,
जा कर्म में परिवर्तित कर,
 त्याग स्भी बन्धन अब,
तैयार रहो युद्ध कर  I126I
 बुद्धि हीन है पुरुष वे,
 मीठी वाणी से कहते ,
वे क्या रक्षा कर पायगे ,
भोग विलास में डूबे रहते I127I
 अहंकार का प्रर्दशन ,
ऐश्वर्य ,कामना ,कमजोरी ,
बुद्धिहीन वे कर्महीन ,
जीवन जैसे किताब है कोरी I128I
अप्राप्ति का प्राप्ति योग ,
प्राप्ति की रक्षा क्षेम कहें
,आसक्ति-हीन ,द्वन्दरहित ,
वेदों की वाणी यही कहें I129I
योग बने  साध्य तेरा ,
साधन इसके  क्षमा योग्य!
कर्तव्य निभा ,प्रभुता पा ,
उत्तम ,सर्वोत्तम ,योग धारण:योग्य! I130I
वर्षा होती, जल भरता! ,
पोखर जा सागर से मिले,
बनता ज्ञान का सागर विशाल ,
अथाह ज्ञान की लहर चले I131I
 तेरा नाता कर्म से है,
फल का मिलना भी तय् हैं,
 जैंसा तेरा कर्म रहेगा ,
अनुरूप उसी के मिलना भी तय् हैं: I132I
 फ़ल्  की इच्छा नहीं करो,
 फ़ल् की पहुँच हाथ से दूर,
आज का कर्म भाग्य है कल ,
मिलता सदा ना जाता दूर I133I
 कर्म करें, सोचें जीत ,
जीत हार का वियोग यहाँ ,
हार सोचते जीत मिले,
हार का हार संयोग यहाँI134I


 अर्जुन, उठों धनुष को तान ,
धर्मयुद्ध का रख तू मान ,
 अधर्म का अंश मिटेगा,
 हिम्मत कर ,तू इसको जान I135I
कंरु ना कंरू के फेरे में ,
उलझ ना तू गिर जायेगा ,
निर्णय तेरा मुशिकल होगा,
 अधर्म धरा  पे रह जायेगा I136I


सोचो ! देखो! युद्ध यहाँ,
मान सम्मान जिन्होंने पाया,
कुछ तो अधर्म जो मिले,
अंधेरा तन मन पे छायाI137I

सम बुद्धि युक्त पुरूष बनो ,
पाप पुन्य को अब, त्यागो ,अर्जुन !,
समत्व स्वरूप है कर्मकुशलता,
 कर्म बन्धन से जागो ,अर्जुन !I138I

समबुद्धि वाले पुरूष यहां,
बड़े वें भी ज्ञानी है ,
फ्लेच्छा -विहीन हैं. वे ,
पर हम सब अज्ञानी हैं I139I

जिस दिन दलदल मोह रूप ,
अर्जुन !तुमने पार किया ,
लोक परलोक के भोगों से ,
समझो अपना उद्धार कियाI140I

वैराग्य मिलेगा, तुम को अर्जुन !,
निर्विकार परम पद को पाओगे ,
जीवन का मर्म मुठ्ठी में ,
तारण स्वयं को कर जाओगेI141I

शेष कल

 

निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I

कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II


(अर्चना  राज)

 


Friday 30 October 2015

Srajan (E-Magazine): 0000272----हां भूल ना जाना ब्रे क हाथ में मेरे लड़...

Srajan (E-Magazine): 0000272----हां भूल ना जाना ब्रे क हाथ में मेरे लड़...: (राज) हां भूल ना जाना ब्रे क हाथ में मेरे लड़ना मेरा है अधिकार ! (Hindi Poem-J51/0000552) सुबह से मैं बन ठन के ब...

0000272----हां भूल ना जाना ब्रे क हाथ में मेरे लड़ना मेरा है अधिकार ! (Hindi Poem-J51/0000552)



(राज)
हां ! भूल ना जाना ब्रे क हाथ में मेरे ,
लड़ना मेरा है अधिकार !
(Hindi Poem-J51/0000552)
सुबह से मैं बन ठन के बैठी ,
करती तेरा इन्तजार ,
आज का दिन बड़ा निराला ,
सौंप दिया मैनें तुम को यार,
हां भूल ना जाना ब्रे क हाथ में मेरे,
लड़ना मेरा है अधिकार I1I
 

दिल से दुआ यही करूंगी,
मेरी अर्चना, मेरी प्रार्थना ,
कष्ट अनूठे ,दुख derdo को ,
सह लूंगी मैं कर के बहाना,
मेरी पूजा यही कहेगी,
दिल से मेरी ना तकरार,
हां भूल ना जाना ब्रेक हाथ में मेरे,
लड़ना मेरा है अधिकार I2I
लिस्ट सभालों ,भूल न जाना,
जो लिक्खा वो लेके आना ,
पति मेरे परमेश्वर तुम हो ,
कुछ भी देखो,भूल न आना ,
भूल गये तो याद भी रखना ,
लड़ने को मैं हूँ तैयार,
हां भूल ना जाना ब्रेक हाथ में मेरे ,
लड़ना मेरा है अधिकार I3I
कभी-कभी लगता होगा,
तकलीफें मिलती हमसे ,
बार- बार कहने से लगता ,
क्यों लड़ती हरदम तुम से,
अपने ही अपनों से लड़ते,
बाकी करते बात बेकार,
हां भूल ना जाना ब्रे क हाथ में मेरे ,
लड़ना मेरा है अधिकार I4I
यही जिन्दगी प्रेम सिखाती,
बुनियाद करें हम मजबूत,
मेरा लड़ना याद दिलाता ,
प्रेम का सबसे बड़ा सबूत ,
आज मिठाई भूल न जाना ,
नहीं मिलेगी कोई फटकार,
हां भूल ना जाना ब्रे क हाथ में मेरे,
लड़ना मेरा है अधिकार I5I
भारत की नारी हूं मैं,
धर्म सनातन मैं निभाती,
कभी मैं छठ का व्रत रखती,
करवाचौथ तेरी याद दिलाती,
भला हो सब परिवार देश का ,
हम मनाते सब त्यौहार,
हां भूल ना जाना ब्रे क हाथ में मेरे,
लड़ना मेरा है अधिकारI6I

अर्चना


( अर्चना & राज)

0000271---English Poem (J/039/0000542)Fly away there,--

English Poem
(J/039/0000542)
Let me say,
Let me feel,
I want to fly,
Fly away there,----------
Where everything is;
Sweet,sonorous and sound,
Here for all deal,
Good or weal,
Have nothing to see
,Have nothing to me,
All what I saw,
At sufferance here,
Is left behind
To me nothing is dear,
Nothing is my(mine),
Even if I cry,
So I want to fly,
Fly away--------
Peace and prosperity,
All that I pity,
Happiness even at best,
All left is worst or rust,
Whom to say ,
Whom to share,
Hard,yea,it is nay,
I don't dare,
Only I can cry,
So I want to fly,
fly away -------!

Thursday 29 October 2015

Srajan (E-Magazine): 0000270------The Expectations in Between

Srajan (E-Magazine): 0000270------The Expectations in Between:       The change in the power at the center and subsequent win in different states ,even in the local levels clearly confirm that the peopl...

0000270------The Expectations in Between

      The change in the power at the center and subsequent win in different states ,even in the local levels clearly confirm that the people are very much fed up and they want change .The Indian politics has been adversely affected by the caste-ism,regionalism and other petty issues.The jobs are less ,instead of creating more jobs keeping in view the increase in population ,only people are led to in-fights,and all the programmes launched till date in eradicating the poverty and unemployment., still stand a gap.A major portion of the population want the essential essentials first.The coming and advent of Modiji ,all of a sudden raises the level of the people' aspirations and see that the whole country emerge as victorious at least on these fronts with saturation.Hence,the expectations are very high cherished by the public and the achievement,though said to have a good start are still far away and if the gaps go on increasing ,it will be difficult for in the days to come.Besides,the 60 years love come in the way all the time.The oppositions will make the most of every opportunity in failure.Besides , a little administrative mistake shall be very heavy,for the general public do not go in the maths of things,but what they need first should be before them ,as happened in the case of dal or lentils.The attempts to divert the attention of the Govt, like surrendering awards are simply issues of local levels,for the seriousness ,these people have ,is better understood even by the average man and woman.They did nothing ,when the people were butchered in J&K,emergency period did not attract the attention and so many riots before.The black money once surrounded the Bollywood and gangs wars confirmed all these things,How many people returned is a question marks.Besides,even those days before Dons ,none has the courage to speak.So,these people's partial approach is better understood.Secondly,there are paid mercenaries too who get the funding from  abroad and cry to establish that the country is Intolerant in order to defame the nation forgetting the lakhs of people in the name of religion have been killed in the neighboring countries like Pakistan and Bangladesh.None speaks then.However,these matters need not any attention .First and foremost all the poor people from every walks of life need the attention,if they are safe,a major win for the Govt.is always there.The expectations have to meet with the achievements too,this is what India needs at this time.

Tuesday 27 October 2015

Srajan (E-Magazine): 0000269--इन्फैन्टरी दिवस पर शुभकामनायें (Hindi Poe...

Srajan (E-Magazine): 0000269--इन्फैन्टरी दिवस पर शुभकामनायें (Hindi Poe...: इन्फैन्टरी दिवस पर शुभकामनायें  बन्दूक हाथ में जिसके हो,   जुनून देश का जिस में हो,   बढ़ते कदम देश की रक्षा , बद...

0000269--इन्फैन्टरी दिवस पर शुभकामनायें (Hindi Poem-J/036/0000539)



इन्फैन्टरी दिवस पर शुभकामनायें 
बन्दूक हाथ में जिसके हो, 
जुनून देश का जिस में हो, 
बढ़ते कदम देश की रक्षा ,
बदन गर्व से जिसका हो I1I

आग बरसती गर्मी में जो,
ठण्ड सिकुड़ती राहों में ,
सैलाब आसमाँ से भी ,
सर झुकाये बांहों में I2I

गर्व से जीवन जीता है,
सम्मान देश का करता है ,
शक्ति अनोखी,शक्ति अलौकिक, 
ये तो मेरे देश का सैनिकI3I

कहीं छिपा. हो दुश्मन ,
कदमों की आहट को सुन ,
भय से का कांपै उसका तन मन,
पूंछ दबाये भागेदुश्मनI4I

सैनिक जब भी आता है ,
दुश्मन मौत को पाता है,
उसकी सारी चालों को,
सैनिक अपना मिटाता हैI5I

छिपे हुये गद्दारों से ,
देश के दुश्मन ,मक्कारों से,
इसी बात को कहना है 
,मेरे सैनिक के वारों से ,
दुश्मन का बचना मुशिकल, 
सारे षणयन्त्र विफल,
आज नहीं तो कल, 
उसे मिलेगा इसका फलI6I

सैनिक अपना आता है ,
वही निजात दिलाता है ,
गर्व से जीवन जीता है, 
सम्मान देश का करता हैI7I

देश ऋणी है तेरा,
उऋण न हो पायेंगे ,
सम्मान देश का तुझको ,
शब्द यही कह पायेगें ,
सम्मान तेरा सब करते हैं.
तू. सम्मान देश का करता है,
गर्व से जीवन जीता है, 
सम्मान सभी से पाता हैI8I
जयहिन्द

(अर्चना व राज)

I also extend my best wishes as I have spent 11 years in their neighborhood while serving KVS and got a lot of attachment ,help and support ,everywhere .All the best wishes

Srajan (E-Magazine): 0000268----Modi-Modi(Hindi Poem-I-045/0000497)

Srajan (E-Magazine): 0000268----Modi-Modi(Hindi Poem-I-045/0000497): मोदी मोदी,”” ModiJi is exposed”The Fime TV           जहाँ भी जाओ मोदी मोदी , विपक्ष है पीछे मोदी मोदी,  दुनिया में गरमाहट है,  ...

Monday 26 October 2015

0000268----Modi-Modi(Hindi Poem-I-045/0000497)


मोदी मोदी,”” ModiJi is exposed”The Fime TV          
जहाँ भी जाओ मोदी मोदी ,
विपक्ष है पीछे मोदी मोदी,
 दुनिया में गरमाहट है, 
नाम चला है मोदी मोदी ,
जिसको देखो ,कहता मोदी ,
गाल बजाता बोलता मोदी ,
उठना ,बैठना, खाना ,पीना,
 छूटा सबका साथ पसीना ,
कौन  हैं मोदी कौन  हैं मोदी ,
सपनों में भी आते मोदी ,
बहुतों को डराते मोदी ,
पीछे पड़े हैं मोदी मोदी,
I1I 
सबकी छौड़े बीबी अपनी,
 मोदी की बनी दीवानी ,
जब भी मोदी नजर में आयें,
 टीवी खोले ,आंख गढ़ाये ,
बा त-2 में हम को  समझायें , 
कौन  हैं मोदी, पता लगा ना,
 हम भी छेड़े नया तराना, 
टीवी शोर मचाता मोदी, 
पीछे पड़े हैं मोदी मोदी ,
नया जमाना. आया मोदी,
बनी दीवानी जनता मोदी, 
I2I

अवाक हुये जब देखा हमने,
 पढ़ी न्यूज पाकिस्तान से हम ने,
उनको दे दें मोदी हम,
 पांच साल बाद पायेंगें हम,
 नवाज मिलेगें फ्री में हम को ,
जब तक चाहो रखना उनको ,
कैसे बात! गले उतरती,
 दुनिया उऩपे क्यों मऱती,
 कुछ राज छिपा है मोदी ,मोदी,
सारे पीछे मोदी मोदी II
I3I
नजर उठी आया. तूफान,
 बन्द होती चमचों की दुकान ,
ऐसा खौफ कहाँ से आया ,
चलते गोदी करते सफाया, 
बात निराली जरूर है मोदी, 
कभी गरूर करें ना मोदी,
 उनका अजेण्डा सबका विकास‌,
 विकास बंधाता सबकी आस, 
सारे पीछे मोदी मोदी , 
जहाँ भी जाओ मोदी मोदी II
I4I
 दुनिया में गरमाहट लाये ,
जब से सत्ता में वे आये ,
सारे मुद्दे ठन्डे बस्ते ,
मोदी का बस रोकें रस्ते ,
पता नहीं क्या शक्ति हाथ में ,
सारे विरोधी एक साथ में ,
गाते कहते मोदी –मोदी,
 सारे पीछे मोदी मोदी II 
I5I
जनता भेजी चुन के मोदी ,
जहाँ भी जाओ मोदी मोदी , 
साथ खड़ी वो मोदी मोदी, 
चाहे चिल्लाओ जोर लगा ओ,
देश के दुश्मन होश में आओ ,
6० वरष.. भी  हमने देखे, 
वक्त बचा है देखना सब ने,
 तस्वीर देश की बदलेगी, 
किस्मत सब की चमकेगी, 
इसीलिये तो चाहत मोदी, 
पबिलक साथ खड़ी है मोदी ,
देश चला नई राह है मोदी, मोदी, मोदी,----------! 
( अर्चना & राज)


Sunday 25 October 2015

Srajan (E-Magazine): 0000267-ङ्क प्यारा सुन्दर सा घर (Hindi Poem-J-033/...

Srajan (E-Magazine): 0000267-ङ्क प्यारा सुन्दर सा घर (Hindi Poem-J-033/...: ङ्क प्यारा सुन्दर सा घर ङ्क प्यारा सुन्दर सा घर,  जिसमें मिलती सुविधा हर , नहीं चाहिए अगर मगर,  ओंाऐ! रब्बा जल्दी दे दे ऐसा ...

0000267-एक प्यारा सुन्दर सा घर (Hindi Poem-J-033/0000533)



  प्यारा सुन्दर सा घर
प्यारा सुन्दर सा घर,
 जिसमें मिलती सुविधा हर ,
नहीं चाहिए अगर मगर,
 ओं ऐ! रब्बा जल्दी दे दे ऐसा घर 
II1II
जब भी जाते ,
घर में आते,
 मीठा सा एहसास कराता,
 हर पल अपनी याद दिलाता ,
बाधे रखता प्रेम की डोर ,
प्रेम बढ़ाता अपनी ओर ,
सारी नफरत ,सारे झंझट,
 पल में जाते  टर ,
ओ ऐ रब्बा !जल्दी कर ,
मुझको जल्दी दे दे घर 
,II2II
मिलता शुकून सबको इसमें ,
 नफरत कभी ना रहती जिसमें ,
प्रेम से सारी बातें होती ,
प्रेम में ही ना ना होती ,
मुशिकल टरती, 
दुखड़े हरती ,
घर में पूजा पाठ भी होती ,
साथ बैठ सब खाना खाते ,
दुनिया की बातें करते,
 महन्त सारे मिल के करते,
 घर भी कहता “काम कर” ,
ओ ऐ रब्बा !जल्दी कर ,
मुझको जल्दी दे दे घर 
II3II
सारे होते महनत कश,
ना इसमें होते टश से मश,
काम बिगडता, 
भविष्य की चिन्ता ,
इनसे होते सारे मुक्त,
कोई ना होता घर में सुस्त ,
पढ़ने वाले समय पे पढ़ते ,
सोच समझ के खर्चा करते ,
किचन खिलाता बढ़िया खाना,
हंसते -2 अंगुली चाटना ,
ओ ऐ रब्बा !जल्दी कर ,
मुझको जल्दी दे दे घर 
II4II
नन्हें-मुन्नों की किलकारी, 
ना जिस पे रुकती हँसी हमारी,
 हम भी बच्चा बन जाते ,
मीठी -तोतली आवाज बनाते, 
जब बच्चा मुस्काता जोर से ,
प्यार दिखाता अपनी ओर से, 
इतनी जोर से हम भी हंसते, 
अपने पड़ोसी के आंसू चलते ,
प्रजातन्त्र होता घर में ,
रहता  वहाँ न कोई डर ,
ओ ऐ रब्बा !जल्दी कर ,
मुझको जल्दी दे दे घर
 II5II  
Wish you Jaldi Ghar ( अर्चना & राज)