Wednesday, 14 October 2015

0000256-अम्बे कहो चाहे जगदम्बे Hindi Poem-D/001/0000161

Happy Navaratrai to All with best Wishes !
अम्बे कहो चाहे जगदम्बे
Hindi Poem-D/001/0000161

अम्बे कहो चाहे जगदम्बे ,
प्रेम से बोलो मात भवानी ,
मात कृपा पाने को मैं तो ,
दर दर दौड़ी बन दीवानी ! I1I

दुनिया में देखा सबको ,
सबको मैने परख लिया,
सुख में शान्ति, मिलती है,
दुःख में रहना सीख लिया ,
शरण पड़ी मैं तेरी माँ,
कंरू समर्पित अपनी जुबानी I2I

मैं तुझको क्या बोलूं माँ,
सही गलत क्या ?तू जाने,
जो कुछ जीवन में गुजरा,
बस मैं जानूं या तू जाने ,
मैं तो न्याय को तरसूं ,माता !
तेरे प्यार की मैं दीवानी I3I

दुनिया में देखा मैनें ,
दुःख के!मारे सारे फ़िरते ,
आह! निकलती नहीं जुबां पे ,
तुझसे अपना दुखड़ा कहते,
आस दिलाते स्वयं को सब,
कहते तुझसे अपनी कहानी I4I

राह तुझे दिखानी होगी.,
कृपा तुझे बरसानी होगी ,
विपदा दूर हटानी होगी, 
मुझको सबला बना दे माता ,
फिर से नई लड़ाई लड़नी I5I

जाना मैनें बचपन में ,
जब भी अत्याचार. बढ़े ,
राह दिखाई माँ ने उनको ,
साहस साथ सभी लड़े,
मैदान छोड़ दुश्मन भागे ,
तर से बूंद-2 पानी I6I

मात् कृपा ऐसी बरसा दो,
ममता बन्द.करो ना आनी ,
अबला खड़ी तेरे सामने ,
करती हरदम नादानी ,
बन गईं आज तो मेरे,
जीवन की इक नई कहानी I7I

(अर्चना & राज)

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