Thursday, 15 October 2015

0000259-सपने अपने ऊँचे रखना, (Hindi Poem-H/015/00417)


महान आत्मा के जन्मदिन पर नमन 

A Lesson I Learnt .

सपने अपने ऊँचे रखना,

(Hindi Poem-H/015/00417)


सपने अपने ऊँचे रखना, 
इसी सोच से आगे बढ़ना, 
बिखरे कांटें फूल बनेगें,
मुकाम कहेगा तुमसे मिलना II1II
सपने अपने ऊँचे रखना,

जीवन में जो सोचा है,
नजर हाथ में आयेगा, 
बिछुड़ा यार भी ढूंढ-2 के,
तेरे पास ही आयेगा ,
बात कहेगा दिल से,
बार-2 चाहेगा मिलना II2II 
सपने अपने ऊँचे रखना,

शूल बने थे वही रास्ते, 
बढ़ के देगें वे सम्मान, 
हाथ जोड़ माफी मांगे” 
"क्षमा करो मेरा अपमान”,
खुशबु वरण करेगी तेरा,
शुरू होगा फूलों का खिलना II3II
सपने अपने ऊँचे रखना,

बड़ी सोच से दुनिया चलती,
आगे बढ़ना राह पकड़ती,
इज्जत भी तो साथ में मिलती,
यही जिन्दगी मुस्काती ,
बुरा किसी का कर नहीं सकते,
मद्द बढ़ाये सब का मान,
ड़्सी बात की गांठ बांधनाII4II
सपने अपने ऊँचे रखना,



जिसको देना हो सम्मान ,
कभी करे ना कोई नुकसान,
दुःख दर्द दूर हटाता जाता ,
मदद करे बढ़ाता शान,
दुनिया कितनी प्यारी है!, 
उस दिन होगा इसका भान,
समझ बढ़ेगी इससे सबकी ,
काम बनेगें सब आसान,
 प्रेम से होगा सबका मिलना, II5II 
सपने अपने ऊँचे रखना,

देश सदा ऋणी रहेगा (अर्चना & राज)

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