Saturday 3 October 2015

0000250-----My Homage to My Maternal Uncle !


श्रीजे०बी० सिंह मामाजी को श्रद्धान्जलि
जाने वाले जाते हैं ,
दिल में याद बसाते हैं,
बातें मन समझाने की ,
याद बहुत वे आते है I

पल-पल गुजरा जिनके साथ,
सर पे रक्खा जिसने हाथ,
कभी ना दुःख की कोई बात ,
छोड़ हमें क्यों जाते हैं ?
याद बहुत वे आते है I

उनका जाना हमें छोड़ना ,
पलक झपकते साथ छोड़ना,
दिल के सारे तार तोड़ना,
समझ के बाहर सारी बाते ,
सोच -2 घबराते हैं
याद बहुत वे आते है I

किससे कहना ,किसे बताना ,
कहाँ है जाना, पता लगाना ,
बातें सारी दिल में समा ना ,
दिल भी रोता, मन भरता है ,
हाथ खाली रह जाते हैं
याद बहुत वे आते है I

जीवन में बातें तेरी,
पग-2 चलती साथ में मेरी ,
पीछे रोती आंखे मेरी,
क्यों ऐसा होता है ? 
अवाक ! अकेले पाते हैं
याद बहुत वे आते है I

नहीं पता है तेरा जहाँ,
गुम सुम सारे मित्र यहां ,
घर के सारे दुःखी वहाँ ,
करें प्रार्थना कृष्णा तुम से,
बस ! ढ़ाढ़स तुम्ही बंधाते हो !
( अर्चना व राज की तरफ से श्रद्धान्जलि)

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