Wednesday 7 October 2015

0000255-उस को भुलानेकी कोशिश ना करनाHindi Poem

    हमारे सहयोगी बल्देव शास्त्रीजी द्वारा लिखित उनकी कविता जो यथार्थ से हमें जोड़ते हुए आंखे खोलती है
    हम फालतू में लड़ते झगड़ते हैं---------------?
    यह जग सराय मुसाफिरखाना
    इसमें लुभाने की कोशिश ना करना 
    आये अगर रै ऩ बिता लो,
    कब्जा जमाने की कोशिश न करना
    हमसे पहले यहां लाखों आये,
    खाये, कमाये, सिधाये ,
    वे भी रहे, ना गये साथ लेकर,
    तुम भी ले जाने की कोशिश न करना,
    यह दुनिया है अमानत प्रुभु की ,
    नहीं है किसी की ,न पहले किसी की ,
    तू अपनी बनाने की कोशिश न करना,
    ग़र राजा हो रानी बड़ा सेठ दानी
    सेवक मुल्लापंडित या ज्ञानी
    जो आया उसको जाना. पड़ेगा.
    ममता बढ़ाने की कोशिश न करना,
    चौरासी के चक्कर में गोते लगाकर,
    मुश्किल से नर्तन (आदमी) का चोला मिला ! ना,
    बड़े भाग से मौका मिला है,
    मौका गवाँ ने की कोशिश न करना ,
    यह आकाश धरती अगिग्न जल हवा है,
    शास्त्रीजी कहें जिसने पैदा किया है,
    उस को भुलानेकी कोशिश ना करना       उस को भुलानेकी कोशिश ना करना


    ( बल्देव शास्त्रीजी)


    ( बल्देव शास्त्रीजी)
    उस को भुलानेकी कोशिश ना करना

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