हमारे सहयोगी बल्देव शास्त्रीजी द्वारा लिखित उनकी कविता जो यथार्थ से हमें जोड़ते हुए आंखे खोलती है
हम फालतू में लड़ते झगड़ते हैं---------------?
हम फालतू में लड़ते झगड़ते हैं---------------?
यह जग सराय मुसाफिरखाना
इसमें लुभाने की कोशिश ना करना
आये अगर रै ऩ बिता लो,
कब्जा जमाने की कोशिश न करना
हमसे पहले यहां लाखों आये,
खाये, कमाये, सिधाये ,
वे भी रहे, ना गये साथ लेकर,
तुम भी ले जाने की कोशिश न करना,
यह दुनिया है अमानत प्रुभु की ,
नहीं है किसी की ,न पहले किसी की ,
तू अपनी बनाने की कोशिश न करना,
ग़र राजा हो रानी बड़ा सेठ दानी
सेवक मुल्लापंडित या ज्ञानी
जो आया उसको जाना. पड़ेगा.
ममता बढ़ाने की कोशिश न करना,
इसमें लुभाने की कोशिश ना करना
आये अगर रै ऩ बिता लो,
कब्जा जमाने की कोशिश न करना
हमसे पहले यहां लाखों आये,
खाये, कमाये, सिधाये ,
वे भी रहे, ना गये साथ लेकर,
तुम भी ले जाने की कोशिश न करना,
यह दुनिया है अमानत प्रुभु की ,
नहीं है किसी की ,न पहले किसी की ,
तू अपनी बनाने की कोशिश न करना,
ग़र राजा हो रानी बड़ा सेठ दानी
सेवक मुल्लापंडित या ज्ञानी
जो आया उसको जाना. पड़ेगा.
ममता बढ़ाने की कोशिश न करना,
चौरासी के चक्कर में गोते लगाकर,
मुश्किल से नर्तन (आदमी) का चोला मिला ! ना,
बड़े भाग से मौका मिला है,
मौका गवाँ ने की कोशिश न करना ,
यह आकाश धरती अगिग्न जल हवा है,
शास्त्रीजी कहें जिसने पैदा किया है,
उस को भुलानेकी कोशिश ना करना उस को भुलानेकी कोशिश ना करना
मुश्किल से नर्तन (आदमी) का चोला मिला ! ना,
बड़े भाग से मौका मिला है,
मौका गवाँ ने की कोशिश न करना ,
यह आकाश धरती अगिग्न जल हवा है,
शास्त्रीजी कहें जिसने पैदा किया है,
उस को भुलानेकी कोशिश ना करना उस को भुलानेकी कोशिश ना करना
( बल्देव शास्त्रीजी)
( बल्देव शास्त्रीजी)
उस को भुलानेकी कोशिश ना करना
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