Monday 5 October 2015

0000253---आज का हास परिहास जब भी पीते चाय - चाय बीबी करती हाय-हाय (Hindi Poem-01D/00058)

आज का हास परिहास
जब भी पीते चाय - चाय बीबी करती हाय-हाय
(Hindi Poem-01D/00058)
जब भी पीते चाय – चाय,
बीबी करती हाय-हाय I1I

चाय पे ऐसी छुरिया चली,
लगता विपदा आन पड़ी ,
जहाँ भी जाओ चाय – चाय,
जहाँ भी खाओ चाय – चाय,
जहाँ भी जाते मिलने हम,
सेवा करते ;मिलती चाय,
पी-2 कर हम चाय – चाय,
बीमार पड़ हम तो हाय,
कहता कोई थामती कैंसर ,
ठण्ड़ भगाती; चाय – चाय,I2I

पाचन की शक्ति को घटाती,
दूध की सदा मांग बढ़ाती ,
दूध से ये मोहभंग कराती,
चलते फिरते दिन भर हम ,
जब भी खाली होते हम ,
मिलती केवल चाय – चाय,
बीबी करती हाय-हाय,I3I

अब तो कि पिण्ड छुड़ाना होगा ,
जीवन अपना बचाना होगा ,
ब्लडप्रेशर और डायबिटीज, 
डाo को बताना होगा,
चाय को बाय्-2 कहना होगा ,
लेते हैं संकल्प अभी ,
पियेगें चाय नहीं कभी,
पर
सेवा मिलती फ्री में हम को ,
प्यार से चाय मिलेगी हम को ,
दिल दुखाना नहीं चाहते ,
रिश्तों को हम अपनाते!
पी लेंगें हम चाय – चाय,
स़ह लेंगें हम हाय-हाय I4I
(Happy Chaya Chaya Peeing from अर्चना & राज)

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