Thursday 15 October 2015

0000258-दम्भ नहीं जलता,(Hindi Poem)


दम्भ नहीं जलता,        
मेरा टूटा मन,
 ज्यों टूटे दर्पन,
 दुनिया फानी है ,
सिर्फ कहानी है,
 दरिया का उठता गिरता पानी है,
 झूठ के दरवाजे ,
सहमा है बचपन,
किस-किस को समझें,
किसको हम जाने,
 मतलब के रिश्ते !,
कैसे पहचाने,
 जलता हुआ तवा ,
रिश्ते छन-छन,
 रोज दशहरा है,
 रोज दीवाली है,
 अपहृत मर्यादा,
 कुटिया खाली है,
 दम्भ नहीं जलता,
 जलता है रावन
                               Contributed by 
                         हमारे मित्र कवि जय प्रकाश नायक

No comments:

Post a Comment