Sunday 18 October 2015

0000262----मोर बोरिश-------जुगाड‌ (Hindi Poem-I/050/0000502Time to Cut Joke

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मोर बोरिश-------जुगाड‌
(Hindi Poem-I/050/0000502)
Note----कृपया फोटो पहले देखें.
जब भी होता काम बिगाड़,  जल्दी सोचो कोई जुगाड़ II
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लगे नारियल इतने ऊंचे, सारे प्यासे खड़े है नीचे:,
 पानी भी तो पास नहीं, पीने की. कोई आस नहीं,
पेड़ बने अपनी दीवार, सीढ़ी बनते. हम सब यार ,
यही हमारी सोच पुरानी ,  हमसे इसमें  दुनिया हार- मानी
जब भी देखो !, होता काम बिगाड़, अरे ! जल्दी सोचो कोई जुगाड़ I1I
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ऑफिस जाना जल्दी हम को, समय से ना ----गाड़ी मिलती हम को ,
एक है बायक सोचो यार, जल्दी कुछ करो विचार……?,
 वाहन पुख्ता बड़ा पुराना ,बैठो----- निभाये याराना,
 हाथ दिखाता पुलिस का भाई ,बची जगह ना मेरे भाई,
 अब की बार मेरे यार ,  करना होगा इन्तजार ,
आती हो कोई जुगाड़, बाबले ! मेरा ना तू कुरता फाड़
जब भी देखो !, होता काम बिगाड़, अरे ! जल्दी सोचो कोई जुगाड़ I2I
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प्यार के दीवाने हैं ,सबको अपना माने हैं ,
पहले खिलाते प्यार में हम ,प्यार लुटाते बाद में हम,
 इंशा क्या पशु पक्षी भी, दानव दैत्य नर-भक्षी  भी,
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 धोखा देखो देना नहीं ---?,छठी का दूध पिलाऊं वही,
प्यार में देते हम लताड़, कुछ गिरते घड़ाम ,कुछ खाते पछाड़
जब भी देखो होता काम बिगाड़, अरे ! जल्दी सोचो कोई जुगाड़ I3I
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जहां भी जाते रहते हम, भगवान देखते बहीं , से हम!
जब मन हो. चंगा ,मानो कठौती में गंगा,
 इसीलिए अपना विश्वास ,जुगाड़ जलाती सबकी आस ,
काम  बिगड़ते. सुनते चिघांड  ,रहती सबसे यही अगाड
जब भी देखो होता काम बिगाड़, अरे ! जल्दी सोचो कोई जुगाड़ I4I

( अर्चना & राज)


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