Saturday, 24 October 2015

0000265--वीरू की विदाई(Hindi Poem-J/029/0000532)

वीरू की विदाई


अश्रु भरें आंखों से कहते ,
वीरू बेला विदाई की आई ,
खेल से तेरे रौनक चेहरे ,
मायूसी लाई तेरी जुदाई II1II

आयेगें और जायेगें ,
क्रम ये चलता रहता ,
गैप कभी न भरता,
 याद दिलों में रखताII2II

चौके छक्कों' की बारिश ,
तेरी याद दिलायेगी ,
तूने रक्खा देश का मान ,
सदा याद तेरी आयेगी II3II 

खेल सराहा पाकिस्तान ,
तुझे नवाजा “मुल्तान का सुल्तान”, 
लोहा तेरा सबने माना ,
गर्व करे सारा हिन्दुस्तानII4II 

बाप-बाप होता है ,
बेटा सदा आपसे सीखा,
 सिरमौर बना ट्रिपल सैन्चुरी,
 खेलते हम ने भी देखा II5II 

खेल से कभी अलग न रहना,
 तेरी  हिदायत काम आनी है, 
नव पीढ़ी भी करे तरक्की ,
बाल की फिरकी तुझेसिखानी हैII6II 

ऱाज किसी का ना होता ,
राज सदा यहां बदलता,
 योगदान जिनका होता ,
याद दिलों में, वही बनाताII7II 

आने वाले पल हों!! ,
सुख समृद्धी तुम्हें मिले, 
खुशी से ये जीवन बीते ,
चेहरा तेरा सदा खिलेII8II
( अर्चना & राज)


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