Saturday, 17 October 2015

0000260-देख सखी , तेरा साजन आता,(HindiPoem-I/047/0000499)

आज का हास परिहास.
(चलो साहित्य की गोद में)

श्रृंगार रस का गीत 

मैं, घर से बाजार जा रहा था,…./////…

. मेरे आगे ट्रक था…………. 

जिसपे लिखा था ….
.”देख सखी तेरे साजन आता …”

मैं,सोच या ……-------

.एक बात क्यों ?.......पूरी बात नहीं बता रहा है ………
चलो ……हम बता दे ----------- पूरी बात

रुक …… रुक

.देख सखी ,
तेरा साजन आता,
देख तुझे,
वो मुस्काता ,
हौले-2,
कदम बढ़ाता,
वो तो तुझ से,
मिलने आता,
नजर उठाता,
नजर गिराता,
मन का भाव,
यही कहता,
आता तुझसे,
प्यार जताता
.देख सखी ,
तेरा साजन आता--------(1)

तेरा साजन,

बिल्कुल न्यारा,
लगता हीरो ,
जैसा प्यारा,
भाग्य तेरे जो,
तुझे मिला ,
तन मन तेरा ,
इससे खिला ,
सच्चा प्यार ,
यही बताता ,
नाता कभी ना,
तोड़ा जाता, 
देख सखी ,
तेरा साजन आता------(2)

करूं प्रार्थना,

दिल से मैं, 
दुःख में तेरे, 
साथ चलूं मैं,
तुझे मिले,
प्यार का सेहरा,
मुस्कान नाचती,
झूमता चेहरा,
सारे दुख मैं ,
सह लूंगी,
तुझे दुआएं!,
दे दूंगीं ,
खुल के सबसे,
कह दूंगीं ,
वादा मेरा,
(तेरा) प्यार बढ़ाता,
देख सखी ,
तेरा साजन आता------(3)

जो भी मुझे,

मुकाम मिला,
तन मन मेरा,
इससे खिला ,
मेरी खुशी के,
पीछे तू है,
मेरी खुशी का ,
राज भी तू है,
मेरा जीवन,
तेरा - आना ,
मिला खुशीका ,
नहीं ठिकाना ,
आगे इसके ,
क्या बतलाऊं? ,
बन के तेरी ,
सखी निभाऊं,
नेक इरादा ,
तुझसे वादा,
रिश्ता मेरा,
यही निभाता
तेरा साजन आता------(4)-----

अर्चना राज


No comments:

Post a Comment