Sunday, 25 October 2015

0000267-एक प्यारा सुन्दर सा घर (Hindi Poem-J-033/0000533)



  प्यारा सुन्दर सा घर
प्यारा सुन्दर सा घर,
 जिसमें मिलती सुविधा हर ,
नहीं चाहिए अगर मगर,
 ओं ऐ! रब्बा जल्दी दे दे ऐसा घर 
II1II
जब भी जाते ,
घर में आते,
 मीठा सा एहसास कराता,
 हर पल अपनी याद दिलाता ,
बाधे रखता प्रेम की डोर ,
प्रेम बढ़ाता अपनी ओर ,
सारी नफरत ,सारे झंझट,
 पल में जाते  टर ,
ओ ऐ रब्बा !जल्दी कर ,
मुझको जल्दी दे दे घर 
,II2II
मिलता शुकून सबको इसमें ,
 नफरत कभी ना रहती जिसमें ,
प्रेम से सारी बातें होती ,
प्रेम में ही ना ना होती ,
मुशिकल टरती, 
दुखड़े हरती ,
घर में पूजा पाठ भी होती ,
साथ बैठ सब खाना खाते ,
दुनिया की बातें करते,
 महन्त सारे मिल के करते,
 घर भी कहता “काम कर” ,
ओ ऐ रब्बा !जल्दी कर ,
मुझको जल्दी दे दे घर 
II3II
सारे होते महनत कश,
ना इसमें होते टश से मश,
काम बिगडता, 
भविष्य की चिन्ता ,
इनसे होते सारे मुक्त,
कोई ना होता घर में सुस्त ,
पढ़ने वाले समय पे पढ़ते ,
सोच समझ के खर्चा करते ,
किचन खिलाता बढ़िया खाना,
हंसते -2 अंगुली चाटना ,
ओ ऐ रब्बा !जल्दी कर ,
मुझको जल्दी दे दे घर 
II4II
नन्हें-मुन्नों की किलकारी, 
ना जिस पे रुकती हँसी हमारी,
 हम भी बच्चा बन जाते ,
मीठी -तोतली आवाज बनाते, 
जब बच्चा मुस्काता जोर से ,
प्यार दिखाता अपनी ओर से, 
इतनी जोर से हम भी हंसते, 
अपने पड़ोसी के आंसू चलते ,
प्रजातन्त्र होता घर में ,
रहता  वहाँ न कोई डर ,
ओ ऐ रब्बा !जल्दी कर ,
मुझको जल्दी दे दे घर
 II5II  
Wish you Jaldi Ghar ( अर्चना & राज)


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