Wednesday 21 October 2015

0000264-आज का हास परिहास. बुरी नजर वाले(Hindi Poem-J/0000525)


आज का हास परिहास. 
(चलो साहित्य की गोद में)

मैं, घर से बाजार जा रहा था,…./////…. मेरे आगे ट्रक था…………. जिसपे लिखा था …..” बुरी नजर वाले तरा मुंह काला …”
मैं,सोच या …….एक बात क्यों ?.......पूरी बात नहीं बता रहा है …………चलो ……हम बता दे ----------- पूरी बात ----उत्तर आपको देना है ?

----…..” बुरी नजर वाले,
ते रा मुंह काला …”
गाली देता हमको क्यों?,
साला ये ट्रक वाला I1I

इक पल को रुकना हुआ ,
ठाणे करें विचार,
अफ्रीका में होते हम ,
न होता ऐसा अत्याचारI2I

लोग वहां कहते,
----…..” बुरी नजर वाले, -----,
ते रा मुंह गोरा ,
पड़े जबां पे, बड़े -2 ताले ,----I3I

काला पढ़ के खुश हुये ,
सोचा स्वयं को गोरा ,
घर आये सीसे में देखा ,
लगते लुढ़का आलू का बोरा I4I

खोले फेसबुक /गूगल को हम 
चेहरे सुन्दर रोज हैं दिखते,
भारत में न कोई काला ,
वरना ट्रकवाले क्यों लिखते ? ,hhhhhhhhaahhheeeeI5I
( अर्चना & राज)

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