Friday 30 October 2015

0000272----हां भूल ना जाना ब्रे क हाथ में मेरे लड़ना मेरा है अधिकार ! (Hindi Poem-J51/0000552)



(राज)
हां ! भूल ना जाना ब्रे क हाथ में मेरे ,
लड़ना मेरा है अधिकार !
(Hindi Poem-J51/0000552)
सुबह से मैं बन ठन के बैठी ,
करती तेरा इन्तजार ,
आज का दिन बड़ा निराला ,
सौंप दिया मैनें तुम को यार,
हां भूल ना जाना ब्रे क हाथ में मेरे,
लड़ना मेरा है अधिकार I1I
 

दिल से दुआ यही करूंगी,
मेरी अर्चना, मेरी प्रार्थना ,
कष्ट अनूठे ,दुख derdo को ,
सह लूंगी मैं कर के बहाना,
मेरी पूजा यही कहेगी,
दिल से मेरी ना तकरार,
हां भूल ना जाना ब्रेक हाथ में मेरे,
लड़ना मेरा है अधिकार I2I
लिस्ट सभालों ,भूल न जाना,
जो लिक्खा वो लेके आना ,
पति मेरे परमेश्वर तुम हो ,
कुछ भी देखो,भूल न आना ,
भूल गये तो याद भी रखना ,
लड़ने को मैं हूँ तैयार,
हां भूल ना जाना ब्रेक हाथ में मेरे ,
लड़ना मेरा है अधिकार I3I
कभी-कभी लगता होगा,
तकलीफें मिलती हमसे ,
बार- बार कहने से लगता ,
क्यों लड़ती हरदम तुम से,
अपने ही अपनों से लड़ते,
बाकी करते बात बेकार,
हां भूल ना जाना ब्रे क हाथ में मेरे ,
लड़ना मेरा है अधिकार I4I
यही जिन्दगी प्रेम सिखाती,
बुनियाद करें हम मजबूत,
मेरा लड़ना याद दिलाता ,
प्रेम का सबसे बड़ा सबूत ,
आज मिठाई भूल न जाना ,
नहीं मिलेगी कोई फटकार,
हां भूल ना जाना ब्रे क हाथ में मेरे,
लड़ना मेरा है अधिकार I5I
भारत की नारी हूं मैं,
धर्म सनातन मैं निभाती,
कभी मैं छठ का व्रत रखती,
करवाचौथ तेरी याद दिलाती,
भला हो सब परिवार देश का ,
हम मनाते सब त्यौहार,
हां भूल ना जाना ब्रे क हाथ में मेरे,
लड़ना मेरा है अधिकारI6I

अर्चना


( अर्चना & राज)

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