आज का गीता जीवन पथ
नवम अध्याय
जय श्री कृष्णा.
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो
!
(समर्पित है देश के मजदूर के नाम ;गर्मी, सर्दी या बरसात ;उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल जीवन चलता है हम,जिनकी सेवाओ से
प्रेरित व सुरक्षित हैं, हर काम समय पर
होता हैं)
संकल्प मेरा
काफी है ,
स्थिति परिस्थिति
भी बदले,
व्याप्त भूत, भविष्य भी है
जीवन को भी गति
मिले
9/11
समय बीतता ;पीछे
जाता
प्रकृति में
लीन होता है सब
रचना करनी होती मुझको
लीला है यही गजब
9/12
कर्म प्रधान
जग है सारा
सबको उनके कर्मों
के फल
ब्रार -2 जग को रचना
यही सूझता मुझको
हल
9/13
कर्मों का ताना-बाना
कर्मों का है
यहां खेल
चक्र जीवन का चलता है
जीवन का है इनसे
मेल
9/14
प्रकाश पुन्ज
है मुझसे,
प्रकति को मिलता
है निर्देशन
समय चक्र है चलता रहता,
होते नित नये प्रर्दशन
9/15
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
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