आज का गीता जीवन पथ
नवम अध्याय
जय श्री कृष्णा.
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो
!
(समर्पित है देश के मजदूर के नाम ;गर्मी, सर्दी या बरसात ;उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल जीवन चलता है हम,जिनकी सेवाओ से
प्रेरित व सुरक्षित हैं, हर काम समय पर
होता हैं)
वास स्थान जगत
में अंतिम
शरणागत होते
हैं जन
हित अनहित जुड़ा
है ,पृभो
नादान अव्यवस्थित
सबका मन
9/31
हे जगत के स्वामी
अर्न्तयामी !
कर्मों का फल
,मुझको भी देना
जब ऑऊं द्वारे
तेरे मैं
शरण में अपनी
ले लेना
9/32
सृजन होता है
मुझसे ,पार्थ
कारण विनाश का
बनता
कारण अविनाशी भी है
रूप धरा का मुझसे
सजता
9/33
सत असत मुझमें
निहित
अमृत/ मृत्यु
का स्रोत है मुझसे
तपता सूर्य से
प्रतिदिन हूं
बर्षां भी आ्कर्षित होती मुझसे
9/34
संतुलन है जगत
में मुझसे
नियम निश्चित
होते संचालित
असंतुलन न टिक
पाता है
होता मुझसे ये
पृभावित
9/35
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
उत्तम सर जी।
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