Sunday, 12 February 2017

477-आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
अष्ठम अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !

(समर्पित है देश  के किसानों के नाम ;गर्मी, सर्दी या बरसात ;उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल जीवन चलता है हम,जिनकी सेवाओ से  प्रेरित व सुरक्षित हैं)

प्रिय हैं सब उसको,
 जीव जन्तु क्या चर -अचर ,
उसकी रचना बृह्माण्ड हमारा
समझ ना पाते हम मगर
8/26
जो भजता है उसको ,
जीवन में श्रृद्धा जो रखता ,
योग है अभ्यास जिसका ,
बस उसमें ही रमता है
8/27
अभ्यास करें बार -2 ,
प्राण स्थापित भृकुटी मध्य,
 योग बल से जाने रहस्य,
 प्रयत्न करे जो सदा नित्य,
8/28
निश्चल भाव मन में जिसके,
श्रृद्धा से भजता रहता ,
ना काहू से दुश्मनी ,
प्रेम भाव सबसे रखता,
8/29
वही तो जाना है उसको ,
दिल में बसाये रहता है
अन्त में प्राप्त करे उसको ,
सत्य यही वह रखता है
8/30
शेष कल

मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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