Friday 10 February 2017

474--------आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
अष्ठम अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !

(समर्पित है देश  के किसानों के नाम ;गर्मी, सर्दी या बरसात ;उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल जीवन चलता है हम,जिनकी सेवाओ से  प्रेरित व सुरक्षित हैं)

स्मरण कर ,हर पल तू
आगे बढकर युद्ध कर
लीन रहोगे मन बुद्धि से ,
मुझे मिलोगे तुम मरकर
8/16
पार्थ! नियम हैं शाश्वत
ध्यान योग में ज्ञानी लीन
(कुछ )अज्ञानी भी तो देखें हैं ,
शान्त भाव से होते लीन,
8/17
परम प्रकाश है जिससे कायम,
चिंतन हमको जो देता
अन्तिम सत्य वही है ईश्वर
प्राप्त अन्त में उनको होता
8/18
रूप है अर्न्तयामी उसका,
 उससे संचालित यहां कर्म      
सर्वज्ञ नियन्ता सबका है
रूप यही है उसका धर्म
8/19
अति सूक्ष्म में भी सूक्ष्म हैं ,
धारण पोषण उसका रूप ,
सदर्श सूर्य प्रकाश पुन्ज,
वही सच्चिदानन्द स्वरूप
8/20
(Note---Even Writers like Remond Moody talks of Prakash Punj (Constantly burning flame)in his book Life after Death; based on the experience of the people declared dead ,but suddenly alive. This shows that 5000 years ago, the things narrated are found truly confirmed)

शेष कल

मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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