Monday, 6 February 2017

467-----आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
सप्तम अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश के सभी प्रशासनिक अधिकारिओं के नाम; सरहद परसेना ,घर में इनका कार्य व्यवहार
,जिनकी सेवाओ से हम प्रेरित सुरक्षित हैं)


खो जाना संसार में ,
सो जाने जैसा है
समय बीतता जाता है
सब कुछ खोने जैसा है
7/51
मूल्यवान भाव ,निष्काम, श्रेष्ठ आचरण
श्रद्धा से भजते हैं जो ,
द्धन्द ,द्वेष ना फर्क पड़े
सच में रमते मुझमें वो,
7/52
मरना जीना मुझसे जोड़ा,
 मुक्ति का माध्यम बनता मैं
धर्म अध्यात्म के ज्ञानी वो
बनता माध्यम उनका मैं
7/53
परम बृहम कों प्राप्त करें,
 ये दृढ़ निश्चय है उनका
यत्न प्रयत्न श्रद्धायुक्त
भक्ति का कायल मैं उनका
7/54
अधिभूत ,अधिदेव ,अधि यज्ञ सहित ,
समझें मुझ को अन्तकाल में ,
चित्त युक्त जाने सब वे ,
मुझमें मिलते वे अन्त काल में
7/55
सदा लीन वे रहते हैं
जीवन का रहस्य समझ चुके,
 कारण यही उद्धार करें
परम तत्व को समझ चुके
7/56
अध्याय समाप्त

मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा


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