Wednesday, 15 February 2017

483----आज की बात




आज की बात

(Gha/38/1848)

एक से ग्यारह होते हैं, 

मिलके काम जब करते हैं ,
आज का दिन है पावन,
नादां अब ना तू बन,
काम धाम सब छोड़ दें ,
सबसे पहले वोट दें ,
वोट ना देना; सोते रहना ,
वर्षों फिर चिल्ला ते रहना,
वोट ना देना ,गर्व नहीं ,
शर्म की बात है 
अच्छा नेता चुन पाये ,
आती फिर 
हर दिन काली रात है,
समझ से पहले जोड़ दें ,
सबसे पहले वोट दें (1)

अधिकारी हों या शिक्षक ,

व्यापारी हों या फिर रक्षक,
बुरा आदमी नेता बन के ,
सबको नाच नचाता है ,
गाली देना उसकी फितरत ,
गलत काम करवाता है, 
सिस्टम अागे पीछे ,
परेशान फिर करता है,
मंशा उसकी तोड़ दें, 
सबसे पहले वोट दें (2)

मुशिकल से आजादी आई ,

कुर्बानी लिखती लहू कहानी ,
कितने कष्ट सहे वीरों ने ,
हार ना फिर भी मानी ,
वादों में बांट दिया हमको ,
पीछे कितना कर दिया हमकों, 
हम भी अपना काम करें ,
छोड़ के लड़ना झगड़ा ,
जबाव मुंहतोड़ दें 
सबसे पहले वोट दें (3)

सबसे ताकत वर हम हैं ,

कब इसको हम समझेगें ,
छोटी मोटी गलती देखो,
फिर वर्षों हम सहेगें ,
अपनों का शासन है, 
अच्छों को सत्ता सौंप दें,
सबसे पहले वोट दें (4)


अर्चना व राज

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