Wednesday, 15 February 2017

482---आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
अष्ठम अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !

(समर्पित है देश  के किसानों के नाम ;गर्मी, सर्दी या बरसात ;उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल जीवन चलता है हम,जिनकी सेवाओ से  प्रेरित व सुरक्षित हैं)
रूप अनेकों में भी एक
परमबृहम परमेश्वर है
 अन्त उसी में छिप जाता है
केवल वही एक एकेश्वर है
8/41

मन में श्रृद्धा ,मन से पावन
परम बृहम को पहचानें
उधार का झंझट क्यों लेना ?
 दिल से हम उसको जानें
8/42
पार्थ !सुनो अब तुम ,
जिसके अनन्य चित्त में मैं,
 तन मन दिल से भजता ,
सुलभ सदा योगी को मैं
8/43
 श्रृद्धा भाव को मिले तवज्जो ,
मार्ग भटकता है इंशान
श्रृद्धाभाव से ईश्वर मिलता
सर्वसुलभ है इसी जहान
8/44
परमसिद्धि जिसको मिलती
 आने जाने का फेर नहीं
क्षणभंगुर दुख का जीवन ; फिर
मिलता बार - बार नहीं
8/45
शेष कल

मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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