Thursday, 16 February 2017

484---आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
अष्ठम अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !

(समर्पित है देश  के किसानों के नाम ;गर्मी, सर्दी या बरसात ;उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल जीवन चलता है हम,जिनकी सेवाओ से  प्रेरित व सुरक्षित हैं)


अर्जुन ! समझो इसको तुम,
 आने जाने का है क्रम
 नहीं अछूती दुनिया है ,
दूर करो तुम अपना भ्रम
8/46
जिसने मुझको प्राप्त किया ,
इस बन्धन से मुक्ति पाता
सुख दुख के जंजालों से
 दूर स्वयं को वो पाता
8/47
बृह्रमा का एक दिन ,अर्जुन
एक हजार  चर्तुयुगीत अवधि बाला ,
रात भी इतनी लम्वी होती है
कथन बड़ा है ;भ्रम में डाला
8/48
जागृत बृह्रमा के दिन से
सृजन   ? रूप को पाता है
रहस्य भरा इस दुनिया में
 यही कहानी कहता है
8/49
युग-2 की वही कहानी है
अव्यक्त व्यक्त होते है
जीवन पाते ,विचरण करते
प्रगट / व्यक्त वे होते हैं
8/50
रात्रि अंधेरी लम्बी है
अव्यक्त व्यक्त हो जाते है
जिसको जीवन मिलता है
विलीन वे इसमें हो जाते हैं
8/51
शेष कल

मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

No comments:

Post a Comment