आज का गीता जीवन पथ
अष्ठम अध्याय
जय श्री कृष्णा.
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो
!
(समर्पित है देश के किसानों के नाम ;गर्मी, सर्दी या बरसात ;उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल जीवन चलता है हम,जिनकी सेवाओ से
प्रेरित व सुरक्षित हैं)
सरल अल्फाजों में ,अर्जुन!
तू केवल इतना जानना,
सरल मार्ग को चुनना
या कठोर मार्ग अपनाना
8/36
राह सभी चुनते हैं मेरा
किसी के दिल में शृद्धा होती
मुकाम मिले मन के जैसा
कोशिश हर स्तर पर होती
8/37
कोई रखता बदन को साफ ,
नियम कठोर कोई बनाता
कोई लीन तपस्या कठोर
सृद्धा मन में कोई लाता
8/38
मन को जीतें कैसे ?
प्रयास करें रोकें श्वास
मन को स्थिर रखता कोई
यहीं बांधता उसकी आस,
8/39
मस्तक मध्य केन्द्रित करता
योग धारणा में लीन
ऊँ बृहम अक्षर रट् ता कोई
निर्गुण बृहम में रहते लीन
8/40
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
No comments:
Post a Comment