Thursday, 2 February 2017

460----आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
सप्तम अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश के सभी प्रशासनिक अधिका रिओं के नाम; सरहद परसेना ,घर में इनका कार्य व्यवहार
,जिनकी सेवाओ से हम प्रेरित सुरक्षित हैं)

स्थित उत्तम गति से मुझ में,
उत्तम गति से चलते हैं
मंद गति- बुद्धि वाला
उत्तम मुझको लगते हैं
7/31
जन्म जन्मा्तर  तक भी ,
कुछ तो मुझ को भजते रहते
तत्व ज्ञान भी मुझसे है
तत्व ज्ञानी भी कम ही मिलते
7/32
जीवन अपना उसको,
शून्य प्रतीत ही रहता
उसका मकसद केवल
भजते मुझको बीतता रहता
7/33
दुर्लभ होते ऐसे योगी,
 मेरे दिल को मोह लेते
जीवन का वे मर्म समझते
मन में सब कुछ शून्य समझते
7/34
नाना कामना ,नाना चाहत
नाना मंशा दिल में उतरती
देव अनेक बना के उसने
 श्रद्धा से है राह निकलती

7/35
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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