Saturday, 18 February 2017

487---आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
नवम अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश  के मजदूर के नाम ;गर्मी, सर्दी या बरसात ;उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल जीवन चलता है हम,जिनकी सेवाओ से  प्रेरित व सुरक्षित हैं, हर काम समय पर होता हैं)
दुखिया सब संसार है,
मुक्ति का जन ढूंढ़े उपाय ,
जीवन भर भटकता प्राणी,
उपाय समझ ना आय
9/1
मुक्ति का माध्यम ज्ञान ,
पार्थ!तुझे जानना बहुत जरूरी,
मुक्ति पाना सबका मन ;
यही है बनती मेरी मजबूरी
9/2
 ज्ञान विज्ञान की परत को खोलो,
 रहस्य पास में आता है ,
उत्तम सर्वोत्तम ज्ञान है , पार्थ
दिल से सबको भाता है
9/3
यही दिलाता फल हमको,
 सहज रूप से कुछ न मिलता ,
धर्मयुक्त साधन से ही ;
पुष्प जैसा है जीवन खिलता
9/4
भ्रम में रहता ,कभी ना रूकता,
शृद्धा-विहीन पुरूष का भाग्य,
 कभी प्राप्त न होता मुझको ,
यही बड़ा उसका दुर्भाग्य
9/5
शेष कल

मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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