आज का गीता जीवन पथ
अष्ठम अध्याय
जय श्री कृष्णा.
जय श्री कृष्णा.
सबका भला
हो !
(समर्पित है देश के किसानों के नाम ;गर्मी, सर्दी या बरसात ;उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल जीवन चलता है हम,जिनकी सेवाओ से प्रेरित
व सुरक्षित हैं)
भूतों का भाव उत्पन्न करें ,
वही
त्याग का नाम कर्म ,
अधिभूत कहे जाते तत्व पदार्थ ,
जन्म मरण हैं जिनका धर्म
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अधिदेव के चलो नाम गिनते ,
प्रजापति,बृहम,सूत्रात्मा नाम अनेक
हे !अर्जुन देह रूप में देखो जिनकों
अधियज्ञ ,अर्न्तयामी उनमें से एक
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जो ना दिखता है ,?
कहां वो छिपता है ,?
नजरों से दूर, दिल केपास
संशय जिसका रहता है
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कभी सामने ,नजरों से ओझल,
कभी न आता ,रूप ना दिखता
कभी प्रकट, कभी हैं धूमिल,
अशरीरी ताकत; अता,पता ना चलता
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रूप ना जिसको बांध
सका,
इंशा ने भी उसको साधा,
दाता सबका एक है हे ! पार्थ
कभी ना बन्धन उसको बाधा
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शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
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