Tuesday, 7 February 2017

469-----आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
अष्ठम अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश  के किसानों के नाम ;गर्मी, सर्दी या बरसात ;उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल जीवन चलता है हम,जिनकी सेवाओ से हम प्रेरित व सुरक्षित हैं)
धर्म क्या ?,अध्यात्म क्या ?,
 कौन बृहम ? कर्म क्या ?
अधिभूत ,अधिदेव, कौन?
शीघ्र करो ,प्रभु तुम बंया
8/1
जीवन का मर्म !,अधियज्ञ कौन?
शरीर से कैसा नाता ?
मुक्त चि त्त वाले ज्ञानी
 कैसे तुमसे जोड़ते नाता ?
8/2
माधव से पृच्छा की अर्जुन ने,
 प्रश्न बड़े विचलित करते
 जीवन का मर्म समझ पाना!
 मुश्किल में हम सब पड़ते
8/3
अन्त समय जब आता है
जग भी लेता मुंह को मोड़
तेरी शरण में सभी पुकारें
 कैसे तुमसे लेता जोड़ ?
8/4

मुस्कान बिखेरे मधुसूदन बोले ,
बृहम बृहमा न्ड का परम अक्षर
जीवात्मा मतलब अपना रूप
सरल रूप में समझे ज्ञानी नर
8/5
शेष कल

मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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