Thursday, 23 February 2017

494---आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
नवम अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश  के मजदूर के नाम ;गर्मी, सर्दी या बरसात ;उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल जीवन चलता है हम,जिनकी सेवाओ से  प्रेरित व सुरक्षित हैं, हर काम समय पर होता हैं)

रूप विराट देखो मेरा ,अर्जुन
कुछ पूजन योग्य समझते
पूजा पद्वति अलग-2 है ,
दिल में भाव यही रखते
9/26
रूप मेरे हैं अनेकानेक ,
व्रत मैं ,यज्ञ में मैं,
स्वधा,सुधा में मैं हू
औषधि यन्न्त्र मंत्र में मैं
9/27
हवन करते जन, अर्जुन
अग्नि प्रकट होती उससे
मैं ही अग्नि,पार्थ
अग्नि प्रज्वलित होती है मुझसे
9/28
 रिग ,साम, अथर्व ,यर्जुवेद
 मुझसे आता ज्ञान अथाह
मुझसे माता भ्राता पिता
कोई जान सका न मेरी थाह
9/29
मैं ही ओंकार हूँ
है कर्मो का फल मुझसे
जगत का धारण कर्ता
स्रोत संसार मुझसे है
9/30
Note-Meaning thereby I am also the manifestation of Param Tatva
शेष कल

मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगाa

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