आज का गीता जीवन पथ
अष्ठम अध्याय
जय श्री कृष्णा.
जय श्री कृष्णा.
सबका भला
हो !
(समर्पित है देश के किसानों के नाम ;गर्मी, सर्दी या बरसात ;उनकी महनत व परिश्रम के प्रतिफल जीवन चलता है हम,जिनकी सेवाओ से
प्रेरित व सुरक्षित हैं)
हर विद्या से है परे,
सम्पूर्ण ज्ञान का वह भण्डार ,
शुद्धस्वरूप रूप सर्वोत्तम ,
जग में छाती उससे बहार
8/21
पूर्ण है पूर्णता उससे,
ज्ञान विज्ञान रहस्य ध्यान ,
अपूर्ण हम हर दृष्टिकोण?
प्रयास करें हम उसको जान
8/22
जिज्ञासु समय बिताते ;जाने,
रहस्य से पर्दा चाहे हटाना
झलक मिल जाये ,आशा कायम
पागल
होता सारा जमाना
8/23
ज्ञान है उससे ,ध्यान है उससे ,
उससे जीवन सारा जहान,
वो सच्चिदानन्द स्वरूप !
उससे बड़ा न कोई महान
8/24
शातिर चलते अपनी चाल,
ना उसने बांटा है संसार ,
वो तो सबका पालन हार
करता प्रेम से वो उद्धार
8/25
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
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