आज का गीता जीवन पथ
सप्तम अध्याय
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश के सभी प्रशासनिक अधिका रिओं के नाम; सरहद परसेना ,घर में इनका कार्य व व्यवहार
,जिनकी सेवाओ से हम प्रेरित व सुरक्षित हैं)
भक्त मेरे हैं चार प्रकार ,
मुझको हर दम भजते रहते,
किसी को दौलत की चाहत
संकट से कुछ बचना चाहते
7/26
पदार्थ प्राप्ति में मोहित ,
मगन रहे वो दिन भर
मुझ में लीन रहते कुछ
नहीं चाहिए उनको घर बर
7/27
अनन्य भाव से भजता मुझको ,
प्रेम में मेरे डूबा ज्ञानी
अति उत्तम भक्त है मेरा
भक्ति उसकी मैंने मानी
7/28
तत्व माध्यम बनता जिनका ,
पहुंच बनाते मुझ तक
ज्ञान विज्ञान केन्द्रित मुझ में
खोजते रहते जीवन जब तक
7/29
उदार सभी ये ज्ञानी हैं
उदार है इनकी मानसिकता
उदार सोच भी साथ चले
उदार प्रवृति दिल में रखता
7/30
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
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