Friday, 3 February 2017

462----आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
सप्तम अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश के सभी प्रशासनिक अधिकारिओं के नाम; सरहद परसेना ,घर में इनका कार्य व्यवहार
,जिनकी सेवाओ से हम प्रेरित सुरक्षित हैं)


उसका जीवन वशीभूत है
नाना कामना साथ में जीवित
मुझसे दूर सदा रहता है
समझो ,पार्थ !यही हकीकत
7/36
चाहत भक्त के मन में जो
पूजन जिसका करता है
शान्ति जिससे उसको मिलती
 भाव वही वह रखता है
7/37
भक्त बड़ा भगवान है,पार्थ!,
 भगवान समझते भक्त की महिमा
नहीं मुरादे रहें अधूरी
भगवान समझते भक्त की गरिमा
7/38
रूप बदलता घर संसार
पल पल चाहत भी बदलें
जैसा रूप भक्ति भाव हो
उसी में पूरा करने आते
7/39
भक्त मेरे कुछ ऐसे हैं
भक्ति में खोये रहते
भक्ति भाव में मुझसे जुडते
भक्ति में वो कहते रहते
7/40


शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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