Monday 30 January 2017

455--आज का गीता जीवन पथ


आज का गीता जीवन पथ
सप्तम अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश के सभी प्रशासनिक अधिका रिओं के नाम; सरहद परसेना ,घर में इनका कार्य व्यवहार
,जिनकी सेवाओ से हम प्रेरित सुरक्षित हैं)


सतगुण पैदा करता भाव ,
रजो गुण भी पाता स्थान,
 तमोगुण भी पैर पसारे,
 लड़ता पाता वह स्थान
7/16
इनमें भी मैं व्याप्त
पर वे मुझ में नहीं है
विस्तार से समझो ,पार्थ
क्या गलत ,क्या सही है
7/17
मनुष्य दौंडता इनके पीछे ,
लालायित रहता ,इनको पाता
 इनके परे है मेरा वास
पर ध्यान उधर न लाता
7/18

मोह्ति होना इन पर
पल भर की माया है
मोह पैदा करता  ऐसे
अज्ञान दिलों पे छाया है
7/19
क्रम चलता रहता इनसे
 लाखों इसमें जाते डूब
एकाद निरन्तर भजता मुझको
वहीं ज्ञानको समझे खू
7/20

(This world is the Kerma Bhoomi,( Platform by Shakespeare)where we are given powers over us ,but partly biologically(a little control),Man is left at his liberty to perform the Kerma. Surprisingly, Only two paths are before us 1-Remove darkness through true Knowledge or 2---Get lost in the use of matter for temporary or transient Sukh(Happiness)which comes with Dukh 4times more in quantity)
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

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