आज का गीता जीवन पथ
सप्तम अध्याय
जय श्री कृष्णा.
जय श्री कृष्णा.
सबका भला
हो !
(समर्पित है देश के सभी प्रशासनिक
अधिका रिओं के
नाम; सरहद
परसेना ,घर में
इनका कार्य व
व्यवहार
,जिनकी सेवाओ से हम प्रेरित व सुरक्षित हैं)
जड़ चेतन का बृह्माण्ड यहाँ,
परा अपरा में बंटता
जड़ भी रखती खास स्थान
चेतन से जीवन चलता
7/6
आकाश ,प्रथ्वी ,अग्नि ,जल, वायु
मन ,बुद्धि और अंहकार
यही प्रकृति तो मेरी है ,समझो
इनके है आठ प्रकार
7/7
भूत भविष्य जीवन की माया
जड़ चेतन में सदा समाया
प्रभव तथा प्रलय मैं हूं
रहस्य यही; बृह्माण्ड में छाया
7/8
इस जगत का मूल कारण
जड़ चेतन का है नियन्त्रण
रहस्य यहीं समाया है
और दूसरा न कोई कारण
7/9
माला बनती मन से,
मन के ही रूप को देते
माला सदृश गुन्था सब है ,
बाहय रूप ही सभी देखते
7/10
शेष
कल
मेरी विनती
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
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