Tuesday, 24 January 2017

0443-----आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
षष्ठम अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश  के अर्द्धसैनिक बलों एवं पुलिस के नाम,जिनकी सेवाओ से हम प्रेरित व सुरक्षित हैं)


बुद्धि संयोंग संस्कार ,
पूर्व जन्म में किये अर्जित ,
 पुनः प्रयत्न कठोर तप,
 सदा करें हम संचित,
7/81
योग सम्राट पुरूष जब ,
जन्म उत्तम कुल में लेता है,
 पूर्व प्रयत्न अभ्यास हैं उसके,
 प्राप्त परम तत्व से करता है
7/82
समबद्धि रूप जिज्ञासु,
देखा यह भी जाता है
समका्य कर्मों का उल्लघंन,
 शास्त्रानुसार न चल पाता है,
7/83
विपरीत इसी के वे योगी .
सदा प्रयत्न करते हैं
संस्कार जन्म जन्मान्तर;
वृद्धि सदा वे करते हैं
7/84
 पाप रहित वे हो जाते ,
भगवत्व वे प्राप्त करें
जीवन के मर्म का मतलब ,
आसानी से वे प्राप्त करें
7/85
चाहे तपस्वी शास्त्र-ज्ञानी ,
निष्काम कर्म जो करते
योगी सदा श्रेष्ठ रहता, पार्थ !
महान उसे सब कहते
7/86
योगी तुम भी बनो, पार्थ !
श्रद्धा संग भजता जो योगी
मन से भाव जुड़े हैं (उसके )मुझसे
अतिप्रिय बनता जुड़ता मुझसे
7/87
VI अध्याय समाप्त

मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(
अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा


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