Friday, 27 January 2017

448----आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
सप्तम अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश  के सभी प्रशासनिक अधिका रिओं के नाम;  सरहद परसेना ,घर में इनका कार्य व्यवहार
,जिनकी सेवाओ से हम प्रेरित व सुरक्षित हैं)

पार्थ ! सुनो अब तुम ,
अनन्य प्रेम है तेरा
योग के तुम भी भागी,
आसक्त चित्त है तेरा
7/1
ज्ञान जगत की माया  
मन को किया समर्पित  तू
बल ऐश्वर्य आत्मरूप ;,
संशय रहित ; सुन अब तू
7/2
बल ऐश्वर्य आत्मरूप ;,
समझ इनकी सम्पूर्णता ,
आगे इनके शेष बचे न
स्वंय में रखते पूर्णता
7/3
तप योगी करते हैं
साल हजारों बीतें
 कुछ तो समझ रखें (परम तत्व ),
कुछ खाली रहते खाते पीते
7/4
एक महान उनमें से
लीन परम तत्व रहता है
यथार्थ को समझें ; अर्न्त ज्ञान
समझ बड़ी वह रखता है

7/5
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू

निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(
अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो
जायेगा

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