Sunday 29 January 2017

0452----आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
सप्तम अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश के सभी प्रशासनिक अधिका रिओं के नाम; सरहद परसेना ,घर में इनका कार्य व्यवहार
,जिनकी सेवाओ से हम प्रेरित सुरक्षित हैं)


हे अर्जुन !परम तत्व से मैं प्रकाशित ,
जल में रस ,सूर्य में प्रकाश 
वेदों में ओंकार हूँ मैं ,
प्रकाशित होता जग ,आकाश
7/11
भ्रम में रहना नहीं सार्थक ,
आकाश से ही शब्द मिलते 
चांद चमकता रातों में 
पुरूष तत्व भी मुझसे रहते 
7/12
स्पर्श ,रस ,गन्ध ,अग्नि ,
भूतों में भी परम तत्व 
तप में वास है मेरा 
कितना बड़ा है इसका महत्व 
(भूतों में all the past ;simple thinking presents all the things occurred)
7/13
तेज हूं मैं तेजस्वी का ,
पाता बुद्धि बुद्धिमान 
भूतों का बीज सनातन 
इसको भी ;अब तू जान 
7/14
भरत श्रेष्ठ बलवानों का आसक्ति 
सामर्थ कामना रहित हूं मैं 
धर्म के अनूकूल भूतों में
धर्मसम्मत काम हूं मैं
7/15
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

No comments:

Post a Comment