आज का गीता जीवन पथ
षष्ठम अध्याय
जय श्री कृष्णा.
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश के अर्द्धसैनिक बलों एवं पुलिस के नाम,जिनकी सेवाओ से हम प्रेरित व सुरक्षित हैं)
सच है अर्जुन है ,तेरा कहना
मन है
चंचल, चलता रहता है
अभ्यास
करो,वैराग्य भी आता
जीव के वश में रहता है
6/71
दृढ़, बलवान ,नेक, इरादे
संकल्प करो,मन को काबू
दिशा ना बदलो बार-2
सीमित होती इसकी खुशबू
6/72
मैं भी तुम्हें बताता ,पार्थ!,
मन पे
जिसकी नहीं लगाम
योग दुष्प्राप्य है उसको
कर ले चाहे प्रयत्न तमाम
6/73
मन को वश में जिसने किया,
जीवन
में अदभुत कर डाला
सब कुछ प्राप्त करे सहज
योग भी हाथ गले में डाला
6/74
प्रेक्षा की अर्जुन ने फिर ,
श्रद्धालू ,सयमी नहीं पुरुष
भटक गया है योग से दूर
ऐसा जीव भी !कौन स्वरूप?
6/75
शेष
कल
मेरी विनती
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
No comments:
Post a Comment