Saturday, 21 January 2017

437--आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
षष्ठम अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश  के अर्द्धसैनिक बलों एवं पुलिस के नाम,जिनकी सेवाओ से हम प्रेरित व सुरक्षित हैं)

अद्दृश्य नहीं वो मेरेलिए 
अद्दृश्य नहीं मैं उनके लिए,
 स्थित हों वो ;मुझे देखते
सब कुछ पाता अपने लिए
6/66
स्थित प्रज्ञ बनके योगी
सदा ध्यान में रहे तल्लीन
मुझको भजता ,मुझे बरतता
रहता योगी वो मुझमें लीन
6/67
पार्थ !सम है योगी सब भूतों में ,
सुख दुख में भी रहता सम
परम श्रेष्ठ वो योगी धरा पे
बने ना स्थित उकी विषम
6/68
मन है चंचल ,मधुसूदन !,
सम भाव नहीं रहता है
चंचलता है इतनी ज्यादा
 स्थिति नित्य बदलता है
6/69
चलायमान मन है चंचल ,
स्वभाव बदलता रहता है,
 वश में करना ;वायु रोकना
दुष्कर इसको जग कहता है
6/70
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(
अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा


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