Sunday, 22 January 2017

440-मां (श्रद्धान्जली)

मां (श्रद्धान्जली)
(gha/23/1833)
लाख कोशिशें चाहें कर ले
याद तुम्हारी न जाये
वक्त गुजारे साथ में तेरे
आती यादें हमें सताये----1
तरस रहे उस मुस्काहट को
मि लना तुम से ज़ब होता
हसीं खुशीं में दिन बीते
 हमकों प्यार तुम्हारा मिलता
एक हवा के झोंकें ने
जलता दिया बुझा दिया
सपने टूटे ,अपने छूटे
 दूर वो हमसे कर गया
कोशिश करते रात और दिन
छो ड़ के यादें न जाये -----
वक्त गुजारे साथ में तेरे
आती यादें हमें सताये----2

यादों में तुम र हते हो
दुख अपना हम किसे बतायें
हाथ पकड़ के हमें चलाया
          जब भी रोते ,हमें हसायें                        
हमें बुलाते ,प्यार भी करते

पता दिया ना जाते -2,

कहां मिलोगो तुम हमसे
अल्फाज प्यार के हमें सुना दो
सुनने को बरसों तरसे
दूर न जाती यादें हमसे
आती रोज सतायें
मन की बातें मन मे रहती
 कौन मिले हम उसे बतायें
वक्त गुजारे साथ में तेरे
आती यादें हमें सताये----3

    ** jkt o vpZuk ** 

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