आज का गीता जीवन पथ
पंचम अध्याय
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश के वैज्ञानिकों के नाम जो असमय मौत का शिकार बने
परमबृह्म में लीन पुरुष
सांख्य योगी फल पाता निशिचत
भाव एकाकी
सदा वो रखते
सदालीन वो रहता निशिचत
6/66
जीवन में बस एक उपलब्धि !
परमबृहम परमात्मा से हो मिलन
कामक्रोध चित्त जो जीता
जीवन उसका ; ज्ञान प्रयास और ध्यान
6/67
लगे कर्म उसे पुनीता
मन ना दूषित हो उसका
स्वयं भला ,स्वयं से भला
जीवन मार्ग दिखाता उसका
6/68
मन ना जिसका भटके,
विषय भोग
ना बाधित करते
निकाल फेंक
बाहर देता
बृह्म का सदा वे चिन्तन करते
6/69
दृष्टि केद्रित भृकुटी मध्य,
प्राण वायु
रहे अधीन,
अपान वायु भी सम रखते
जिनका अपना सर्वाधीन
6/70
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है
प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा
गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते
कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना
बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
No comments:
Post a Comment