आज का गीता जीवन पथ
षष्ठम अध्याय
जय श्री कृष्णा.
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश के अर्द्धसैनिक बलों एवं पुलिस के नाम,जिनकी सेवाओ से हम प्रेरित व सुरक्षित हैं)
सावधान रहता है योगी ,
माया की है चंचलता ,
‘शान्त भाव से मुझमें लीन ,
केवल
मुझमें व्याकुलता’
6/26
मन पे जिसका वश चलता ,
आत्मा का परमात्मा से मिलन ,
परमानन्द की पराकाष्ठा ,
उपकृत होता तनमन
6/27
शान्त देह से रहता है ,
अन्दर बाहर मुझमें लीन ,
माया मोह ना डिगा सके
इतना खोया ,इतना तल्लीन
6/28
ममता को त्यागा जिसने ,
या थोड़ा सा खाता जो,
सोता
पैर पसारे,
या हर पल रहता जगता
6/29
पार्थ !सिद्धान्त योग से
परे सभी रहता है
सिद्ध
योगी न बन पाये
पीठ थोकता रहता है
6/30
(To be continued)
मेरी विनती
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
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