Tuesday, 10 January 2017

0421-आज का गीता जीवन पथ

आज का गीता जीवन पथ
षष्ठम अध्याय 
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश  के अर्द्धसैनिक बलों एवं पुलिस के नाम,जिनकी सेवाओ से हम प्रेरित व सुरक्षित हैं
योगारूठ पुरुष महान,
 भोग इन्द्रिओं का दूर रहे
कर्मों में होती अनासक्ति
 सकल्पों से भी दूर रहें
6/6
मनुष्य स्वयं है अपना मित्र ,
शत्रु स्वयं का भी रहता
उद्धार करे अपना स्वयं
भाव यही मन में रहता
6/7
 मित्र आत्मा का भी वो,
इन्द्रीय मनं को जीता जिसने ,
वही शत्रु बन जाता है ,
हार मान ली इनसे जिसने
6/8
आत्मा का होता मिलन ,
परमात्मा का होता वास ,
शान्त सदा रहता हैं वो
जो सदा रखे प्रभु की आस
6/9
मान सम्मान का फर्क नहीं,
 फर्क ना दुख के आने का
 हर्ष-विषाद से ऊपर जो
फर्क नहीं सुख के जाने का
6/10
(To be continued)
मेरी विनती

कृपा तेरी काफी है ,प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा ,गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते ,कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना ,बस ध्यान में रखना कृष्ना तू


निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद खुद समाप्त हो जायेगा

No comments:

Post a Comment