आज का गीता
जीवन पथ
पंचम अध्याय
जय श्री कृष्णा.
सबका भला हो !
(समर्पित है देश के वैज्ञानिकों के नाम जो असमय मौत का शिकार
बने
मनुष्य कर्मों का दास
अच्छे को सदा वो धाता
पीठ थपथपाता अपनी वो
स्वयं को महान जताता
5/56
अच्छे बुरे ,कैसे भी कर्म ?,
नाम मेरा वो लेता है
बदनाम करें परम तत्व !,
कर्म स्वय वो करता है,
5/57
स्थिर बुद्धि ,संशय रहित ,ब्रबृह्म बेत्ता !,
प्रिय भी प्राप्त करे ?,हर्षित ना वो होता
अप्रिय भी उसके कर्म लिखा ,
विचलित कभी ना वो होता
5/58
वही समझता परमानन्द !,
बाह्य जगत ना दे सकता,
लीन स्वयं को करता वो,
बृहम तत्व में सब मिलता
5/59
अन्त:करण विशुद्ध रहे ,
ध्यानयोग में मगन रहे
परमतत्व से मिलने का फल!
सबसे दुलर्भ? श्रेष्ठ रहे
5/60
शेष कल
मेरी विनती
कृपा तेरी काफी है
प्रत्यक्ष प्रमाण मैं देता
जब-2 विपदा ने घेरा
गिर ने कभी ना तू देता
साथ मेरे जो पाठ है करते
कृपा बरसते रखना तू
हर विपदा से उन्है बचाना
बस ध्यान में रखना कृष्ना तू
निपट निरक्षर अज्ञानी है हम ,किससे, क्या लेना, क्या देना I
कृपा बनाये रखना, कृष्णा, शरणागत बस अपनी लेना II
(अर्चना व राज)
नोट- जो लोग जातिवाद कहते हैं,उनके लिए जरूरी है कि वे कृष्णा धारा से जुड़े
I
कृष्णा ने मानव कल्याण की ही बात की हैं जातिवाद खुद ब खुद समाप्त हो जायेगा
No comments:
Post a Comment